Saturday, February 13, 2010

फैज़ को लाल सलाम


आज  मशहूर शायर फैज़ अहमद फैज़ का १०० वाँ जन्म दिवस है. 13 फरवरी 1911 को सियालकोट, पंजाब (अब पाकिस्तान) में इनका जन्म हुआ था. कलम के इस सिपाही को लाल सलाम.
(1)
गुलों में रंग भरे, बादे-नौ-बहार चले 
चले भी आओ के गुलशन का कारोबार चले
क़फ़स उदास है, यारो, सबा से कुछ तो कहों
कहीं तो बहरे-खुदा आज ज़िक्रे-यार चले
कभी तो सुब्ह, तेरे कुंजे-लब से हो आगाज़
कभी तो शब, सरे-काकुल से मुश्क्बार चले
बड़ा है दर्द का रिश्ता, ये दिल ग़रीब सही
तुम्हारे नाम पे आयेंगे ग़मगुसार चले
जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर शबे-हिजरां
हमारे अश्क तेरी आकिबत संवार चले
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(2)
कभी-कभी याद में उभरते हैं नक्शे-माज़ी मिटे-मिटे से
वो आज़माइश दिलो-नज़र की वो कुर्बतें सी, वो फ़ासले से
कभी-कभी आरजू के सेहरा में, आ के रुकते हैं क़ाफले से
वो सारी बातें लगाव की सी वो सारे उन्वां विसाल के से
निगाहों-दिल को क़रार कैसा निशातो-ग़म में कमी कहाँ की
वो जब मिले हैं तो उनसे हर बार की है उल्फत नए सिरे से
बहोत गरान है ये ऐशे-तनहा कहीं सुबुकतर कहीं गवारा
वो दर्दे-पिन्हाँ के सारी दुनिया रफीक़ थी जिसके वास्ते से
तुम्हीं कहो रिन्दों-मुह्तसिब में है आज शब कौन फ़र्क ऐसा
ये आके बैठे हैं मैकदे में वो उठके आए हैं मैकदे से
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4 comments:

Kapil said...

उर्दू के संभवत: सबसे महान शायर का 100 जन्‍मदिन और कहीं कोई खबर तक नहीं। शुक्रिया कि आपने ध्‍यान दिलाया।

Pratibha Katiyar said...

sachmuch shukriya! bilkul yaad hi nahi tha... sabke priya shayar faiz...

Randhir Singh Suman said...

फैज़ को लाल सलाम.nice

दिनेशराय द्विवेदी said...

फैज़ और उन की शायरी को सलाम!