पन्ने पर एक तरफ
कभी लिखी थी एक कविता समय सत्य
और उसमे लिखा था
सबसे अहम सवालों के बारे में।
पन्ने पर दूसरी तरफ
पत्नी ने लिखी एक और ज़रूरी कविता-
धनियाँ का पत्ता, मिर्च, अदरक,
लहसुन, जीरा, प्याज और एक किलो आलू ।
अब जबकि समय भी बदल गया है और उसका सत्य भी
और तमाम ज़रूरी सवाल
हाशियों पर चुटकुला बन रहे हैं,
ऊब और अनास्था के बीच
छिपाते हुए थोडी-सी आंच
और गढ़ते हुए जीने का कोई माकूल तर्क
दोनों कविताओं के बीच का भूगोल
हाँफते हुए नाप रहा हूँ।
राजेश चन्द्र
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