बिहार में बाढ़ राष्ट्रीय आपदा घोषित की गई है। अमूमन राष्ट्रीय आपदा की घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है। इस बार भी प्रधानमंत्री ने बिहार के पांच जिलों का दौरा कर कोसी का प्रकोप देखा और तभी इसे राष्ट्रीय आपदा करार दिया। इसके बाद राष्ट्रीय आपदा अधिनियम के तहत बिहार को केंद्र से मदद मिलनी शुरू हुई। इस अधिनियम के तहत प्रभावितों को कई तरह का मुआवजा केंद्र द्वारा पहुंचाया जाता है। मुआवजा देने की अधिकतम समय सीमा भी तय है, जो 45 दिनों की है। इसके तहत दी जाने वाली सहायता–
राज्य सरकार द्वारा घोषित मृतकों के आश्रितों को एक-एक लाख रूपए की सहायता राशि।
शारीरिक रूप से विकलांग हुए लोगों को 35 से 50 हजार रूपए तक की सहायता राशि।
गंभीर चोट खाए लोगों को 2500–7500 रूपए की सहायता राशि।
कृषि भूमि में गाद यानी कीचड़ की सफाई के लिए 6000 रूपए प्रति हेक्टेयर की सहायता राशि।
कृषि भूमि में आए कटाव की समस्या के लिए 15000 रूपए प्रति हेक्टेयर की सहायता राशि।
आपदा के दौर में अनाथ बच्चों के लिए प्रतिदिन 15 रूपए और वृद्धों तथा अनाश्रितों को 20 रूपए प्रतिदिन की सहायता राशि।
घरेलू सामान के नुकसान पर प्रति परिवार 1000 रूपए और इतनी ही राशि कपड़े के नुकसान पर।
प्रभावितों में से प्रत्येक को 8 किलोग्राम गेहूं या 5 किलोग्राम चावल प्रतिदिन के हिसाब से।
टूटे या क्षतिग्रस्त हुए मकानों के लिए 25000 रूपए प्रति मकान के हिसाब से सहायता राशि।
कच्चे मकानों के लिए 10000 हजार रूपए की सहायता राशि।
झोपड़ियों के लिए 2000 रूपए की सहायता राशि।
दुधारू पशुओं के लिए 10000 रूपया प्रति पशु की दर से सहायता राशि।
गैर दुधारू पशुओं के लिए 1000 रूपया प्रति पशु की दर से सहायता राशि।
मुर्गीपालकों को प्रति मुर्गी 30 रूपए की दर से सहायता राशि।
बड़े पशुओं के चारे के लिए प्रति पशु 20 रूपए प्रतिदिन तथा छोटे पशुओं के लिए 10 रूपए प्रतिदिन की दर से सहायता राशि।
मछली पालकों को 2500 से 7500 रूपए तक की सहायता राशि।
आपदा के पूरे दिनों के लिए अकुशल श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी जितनी दैनिक मजदूरी की व्यवस्था।
प्रस्तुति : प्रवीण कुमार
1 comment:
जानकारी देने के लिए धन्यवाद।
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