Thursday, August 28, 2008

बिहार बेहाल : नेता-मंत्री फिर मालामाल

बिहार के १३ जिलों के ३० लाख से अधिक लोग कोशी की विभीषिका झेल रहे हैं । सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, अररिया, पूर्णिया, कटिहार आदि जिले पूरी तरह तबाह हो गए हैं। १० दिनों से लोग एक मुर्दा, भ्रष्ट, पतित और इंसानी उम्मीदों, बेबसियों, हाहाकारों-चीत्कारों से खेलने वाली , उनका मखौल उडाने वाली सरकार की लफ्फाजियां, उसकी नंगई देख रहे हैं। एक भयानक किस्म का ज्वालामुखी आज हर बिहारी के अन्दर उबल रहा है। बिहार ने अबतक भ्रष्टतम मुख्यमंत्रियों को झेला है पर यह मुख्यमंत्री तो सबसे अधिक बेशर्म साबित हुआ जिसने लाखों लोगों को मौत के हवाले कर दिया और ख़ुद राजधानी में बैठकर रंगरेलियां मनाता रहा, डूबते लोगों को बचाने की कोई कोशिश नहीं की, भूख से बच्चे मरते रहे, लाशें सड़ती रहीं, पर इस मुख्यमंत्री का विलास नहीं छूटा। हद तो यह है कि उधर लोग मौत का आतंक झेल रहे हैं , स्वजनों को अपनी आंखों के सामने एक-एककर मरते देख रहे हैं, और यह मुख्यमंत्री, यह सरकार झूठ पर झूठ बोले जा रही है कि सेना बचाव कर रही है, कि लोग युद्धस्तर पर निकाले जा रहे हैं, कि इतने हेलीकॉप्टर खाने के पैकेट गिरा रहे हैं , कि किसी को भूख से मरने नहीं दिया जाएगा। या खुदा.........कितना झूठ.....कितना फरेब....और वह भी किससे? उसी जनता से जिसने एक राई को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया।
मुख्यमंत्री का सारा ध्यान केन्द्र से मिलने वाले उस मुंहमांगे पैसे की तरफ़ था जिससे उनकी और उनके गिद्ध मंडली की सात पीढियाँ निहाल हो जाने वाली थीं। खुदा के मेहर से केन्द्र ने एक हज़ार करोड़ की मुंहमांगी रकम दे दी, जितना माँगा उससे ज़्यादा अनाज दे दिया। शायद अब कोई बाढ़ पीड़ित भूख से नहीं मरेगा, कोई डूबेगा नहीं, किसी को सुरक्षित स्थान (जो अब बिहार में बचा नहीं) तक पहुँचने के लिए जिला प्रशासन को दस हज़ार की रिश्वत नहीं देनी होगी, इतने पैसों से तो बिहार की गरीबी को कई बार ख़त्म किया जा सकेगा, सभी बाढ़ पीडितों के पक्के मकान बन जायेंगे, हर घर में ३-४ महीनों तक खाने लायक अनाज आ जाएगा, बिहार से किसी को पलायन कर दूसरे राज्यों के कृतघ्नों से दुत्कार और मार नहीं सहनी होगी , सबको रोज़गार मिल जाएगा, हर साल आने वाली बाढ़ से भी निजात मिल सकेगी।
........क्या आज बिहार या देश में कोई आदमी अपने कलेजे पर हाथ रखकर कह सकेगा कि उपरोक्त अपेक्षाओं में से कोई एक भी पूरा होने वाला है? कि उपरोक्त अपेक्षाओं को पूरा कर लेने के लिए क्या पहले से ही कम पैसे बिहार को दिए गए हैं? क्या कोई बच्चा भी यह बताने में ज़रा भी वक़्त लेगा कि इन पैसों का क्या होने वाला है? ये ऐसे लोगों का दौर है जो सबकुछ डकार जाने के बाद भी रहनुमा बने रहते हैं। सबको हिस्सा मिलेगा, पत्रकार, चैनल कर्मी , सम्पादक, विधायक, सांसद, मुखिया, पार्षद, जिलाधीश, एसडीओ, बीडीओ , थाना प्रभारी सबको। जिसने सरकार से जितनी वफादारी निभाई होगी उसी हिसाब से उसकी बोली लगेगी। पेरल जाई जनता चुआओल जाई तेल....जय हिंद...जय बिहार...जय लालू...जय पासवान.....जय नीतीश......जय मनमोहन...

















सभी चित्र इंटरनेट से साभार।




1 comment:

Asha Joglekar said...

Hamara to ab tak Nitish kumar ji ke baare men achcha i mat tha.